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रहस्यमाई चश्मा भाग - 52




नत्थू को वास्तविकता पता थी फिर भी वह अपने  साथियों के साथ गांव लौटा और नए षड्यंत्र रचने कि साजिश करने लगा जब वह गांव अपने लाव लश्कर के साथ पहुंचा तो कर्दब पहले से ही उसका इंतजार कर रहा था नत्थु के गांव पहुचने के एक दिन बाद कर्दब  पहुंचा और उसने मंगलम चौधरी के चीनी मिलों जुट मिलो पर मजदूरों में भड़काए आक्रोश और पूर्व निर्धारित योजना कि प्रगति बताई नत्थू के होश ही गायब हो गए,,,,,

कर्दब ने नत्थु को बताया कि योजना के अनुसार चौधरी के मिलो के मजदूरों में आक्रोश कि चिंगारी तो जला दी गयी है लेकिन चौधरी का साम्राज्य सूझ बूझ एव संवेदनाओ के इतने गहरे जड़ पर ठिका है कि उसे उखाड़ने की बात तो बहुत दूर हिला पाना भी बहुत बड़ी बात है कर्दब ने कहा उस्ताद चौधरी साहब के साम्राज्य को कोई भी बाहरी ताकत चाहे किसी भी सिंद्धान्त एव बोध के धरातल पर क्यो ना हो कुछ भी नही बिगाड़ सकती चाहे आप द्वारा सामाजिक समानता एव न्याय के संघर्ष का ही कपट काल क्यो ना हो,,,,,

मंगलम चौधरी के साम्राज्य को दो ही व्यक्ति समाप्त कर सकते है एक तो स्वंय मंगलम चौधरी या कोई ऐसा व्यक्ति जो मंगलम चौधरी का विश्वस्त हो और उनके साम्राज्य को दीमक कि तरह खोखला करता हो नत्थू आश्चर्य हर्ष से उछलता हुआ बोला यही सोच कर तो मैंने अपने खून नवजात सिंद्धान्त को चौधरी तक पहुचाया जिससे कि मैं अपने जीवन के कुरुक्षेत्र के अंतिम महारथी को उन्ही के विश्वास के शास्त्र शत्र से समाप्त करा सकु और यशोवर्धन से पुराना पुश्तेनी हिसाब बराबर कर सकु कर्दब ने उस्ताद को आवश्यकता से अधिक आत्मविश्वास से भरा देख बोला उस्ताद आपने जिस अपने खून को चौधरी के हवाले किया था!

वह मंगलम चौधरी के संस्कारों में पला बढ़ा है जिसके कारण तुम्हारे खून का असर लगभग समाप्त हो चुका है मैं सिंद्धान्त  से जाने कितनी बार मिल चुका हूँ वह चौधरी साहब के साम्राज्य के विरुद्ध कोई काम करेगा मुझे कत्तई यकीन नही नत्थू ने कर्दब से लगभग व्यंग के अंदाज़ में बोला बबुआ कर्दब जब खून कि सच्चाई का पता लगता  तब सारे सांस्कार खून में ही मिल जाते है कर्दब उस्ताद कि बात सुनते बोला उस्ताद तो हुकुम करे हमे अब क्या करना है!

आपका हुकुम क्या है क्या सिंद्धान्त को अगवा कर आपके पास लाना है जिससे उसे विश्वास आप दिला सके कि वह आपही का खून है लेकिन उस्ताद जब वह अपनी माँ के बारे में पूछेगा और जब उसे पता चलेगा कि जब उसकी माँ जन्म देते ही दुनियां छोड़ गई तब आपने उंसे चिता तक नही नसीब होने दिया और गिद्ध चिल कुत्तों आदि के हवाले कर दिया जिन्होंने उंसे लावारिस समझकर नोच नोच कर मरने के बाद भी उसकी वेदना का मजाक उड़ाया नत्थू बोला कर्दब लेकिन यह सच्चाई उससे बताएगा कौन ? कर्दब बोला उस्ताद जब काल कि नियत और चाल बदलती है तब वह अपने अतीत के हर पल प्रहर का स्वंय साक्ष्य बन जाता है यह आप कभी मत भूले नत्थू ने कहा कर्दब जो भी हो हमारे पास ना तो पीछे हटने का रास्ता है ना ही रास्ता बदलने का तो प्रश्न ही नही है वाल्मीकि या अंगुलिमाल बनने कि संभावना नही है क्योंकि वाल्मीकि और अंगुली माल का समय समाज वर्तमान से विल्कुल अलग था,,,,,


हम बदलने कि कोशिश भी करेंगे तो आम जन हम लोंगो को ऐसा निगल जाएगा कि कही आता पता नही चलेगा हमारे लिए अब कोई रास्ता नही बचता है सिवा इसके की जिस रास्ते पर चले उसी पर चलते जाय शायद मकशद हासिल ही हो जाय जो बहुत कठिन है क्योंकि मेरे पुराने करतूतों कि जांच कभी भी शुरू हो सकती है गांव में थाना बनने ही वाला है और मंगलम चौधरीं ने भी अपने रसूक के दम पर हमारे पिछले गुनाहों की फाइल खुलवाने कि पुरजोर कोशिश कर रहे है कर्दब बोला उस्ताद जो सच्चाई हम देख रहे थे वह आपने खुद ही बया कर दी अब हमारे लिए आपका क्या हुक्म है मेरे लिए नत्थू बोला तुम सिंद्धान्त को उसके रगों में बहते खून कि गर्मी और छटपटाहट को किसी तरह तेज कर दो ताकि परिवरिश का संस्कार भूल कर वह रगों में बहते खून की आवाज़ को सुने कर्दब बोला उस्ताद यह कार्य आसान तो नही है फिर भी मैं पूरी ईमानदारी से कोशिश करूंगा अंजाम चाहे जो भी हो कर्दब इतना कहते हुए चला गया नत्थू गहरी सोच में डूब गया और अपने अतीत में खो गया उंसे पिता मनोरथ कि दुर्गति जो यशोवर्धन के परिवार कि चाकरी के दौरान झेलने पड़े थे और उसने स्वंय बचपन मे एक एक रोटी के लिए अपनी झिनक और बापू मनोरथ को अपमानित होते देखा था


नत्थू कि नजरो के सामने वह दृश्य बिजली कि तरह कौंध गया जब वह पांच छः वर्ष का था और बहुत बीमार था माँ बाप यशोवर्धन के परिवार कि चाकरी या यूं कहें पीढ़ियों से गुलामी करते आ रहे थे गांव के बाहर सिर्फ सर छुपाने के लिए एक झोपड़ी थी पेट पालने के लिए यशोवर्धन के खानदान कि गुलामी जब माँ झिनक और बापू मनोरथ यशोवर्धन के पिता के पास इलाज का पैसा मांगने गए तो उनका व्यवहार मानवो जैसा नही दानवों जैसा था उन्होंने मा बापू से कहा कि एक तो पूरे परिवार के दोनों जून का खाना त्योहारी कपड़ा लता तीज त्योहार सभी का बोझ उठाते है,,,,,



अब बीमार के इलाज का खर्च भी हमी दे बापू ने कहा मॉलिक आप के परिवार की सेवा टहल में मेरा सारा परिवार लगा रहता है तो कोई परेशानी होगी तो किसके पास जाएंगे मालिक नत्थू को इलाज नही मिला तो वह मर जायेगा जैसे इसकी बड़ी बहन जकेशरी मर गयी तब भी आपके पास आये थे अपने मदद किया तब तक देर हो चुकी थी मालिक नत्थू बड़ा होकर का करेगा आपके परिवार की सेवा ही करेगा और एकरे करम में का लिखा है और मनोरथ और झिनकी पैर पकड़ कर फुट फुट कर रोने लगे तब जाकर यशोवर्धन के पिता को कुछ दया आयी उन्होंने इलाज कराना कबूल किया नत्थू के सामने एक एक करके अपमान एव जिल्लत जलालत के एक एक पल ऐसे घूम रहे थे जिसका वह स्वयं साक्षी था जैसे उसके पुराने घाव पर किसी ने नमक छिड़क दिया है,,,,



जारी 





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